निर्वासित गोवंश के पालकों को सरकार की ओर से भरण पोषण देने की तैयारी

निर्वासित गोवंश के पालकों को सरकार की ओर से भरण पोषण देने की तैयारी











मुख्यमंत्री गो-वंश सुपुर्दगी योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार द्वारा संचालित स्थाई और अस्थाई निर्वासित गो-संरक्षण एवं आश्रय स्थलों से जिले के 14 पशुपालकों ने 35 निर्वासित गोवंश पालन-पोषण के लिए लिए हैं। अब इन 14 पशु पालकों को 30 रुपये प्रति निर्वासित गोवंश प्रति दिन पशु भरण पोषण भत्ता के रूप में कुल 39870 रुपये उनके खाते में भेजने की तैयारी है।


मुख्य पशु चिकित्साधिकारी गोरखपुर डॉ देवेंद्र कुमार शर्मा के कार्यालय ने मुख्य विकास अधिकारी अनुज कुमार सिंह की स्वीकृति ले ली है। जल्द ही डीएम के विजयेंद्र पांडियन की अनुमति मिल जाएगी, उसके बाद पशुपालकों को खाते में 30 रुपये प्रतिदिन प्रति निर्वासित गोवंश भरण पोषण भत्ता का स्थानांतरण कर दिया जाएगा।


गोरखपुर में इस योजना की शुरूआत खोराबार से 13 अक्तूबर को हुई थी जब खोराबार के पाण्डेय टोला निवासी भुवन भाष्कर पाण्डेय ने 4 और गहिरा निवासी राजनाथ यादव ने 1 निर्वासित गोवंश को अपनाया था।


उसके बाद बड़हलगंज के बैलवादाखिली निवासी सोमनाथ यादव ने 3, खजनी महादेवा बुजुर्ग की जगुरा ने एक एवं राजकुमार ने 4, पिपराइच के जदवापुर के बलराम यादव ने 1, भटहट परशुरामपुर के अरविंद सिंह ने 4 एवं कैलाश ने 4 निर्वासित गोवंश को अपनाया।  इसी तरह चरगांवा के विशुनपुर निवासी सुनील कुमार ने 4, सरदारनगर मलमलिया के देवी प्रसाद ने दो, कैम्पियरगंज बगही भारी के संतु ने 1, खोराबार लालपुर टीकर के अनिल कुमार यादव ने 2, जंगल सिकरी के राजमती ने 2 और लक्ष्मीपुर के अनिल चौहान ने 2 निर्वासित गोवंश पालन के लिए लिए।


अनुसूचित जाति के पशुपालक का मनरेगा के अंतर्गत बनेगा शेड


सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के लिए सभी एडीओ पंचायत को भी दिशा निर्देश दिए जा चुके हैं। अनुसूचित जाति वर्ग के जो लोग गाय गोशाला से लेंगे तो उन्हें मनरेगा से शेड निर्माण के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।


एक पशुपालक अधिकतम 4 निर्वासित गोवंश ले सकता है
मुख्यमंत्री निर्वासित गो वंश सुपुर्दगी योजना के अंतर्गत 30 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से गौशाला से गाय अथवा अन्य पशु लेने पर खर्चे का प्रावधान किया गया है। एक पशुपालक अधिकतम चार पशु ले सकता है। निर्वासित गोवंश इस शर्त के साथ दिए जा रहे हैं कि कोई भी पशुपालक न तो पशु बेचेगा और न ही छोड़ेगा। इस बात का प्रत्येक पशुपालक से हलफनामा भी लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधान से जांच के बाद भी पशुपालक को गोवंश दिए जाने की व्यवस्था की गई है।














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