जेएचवी मिल प्रबंधन ने 600 कर्मचारियों को निकाला, कई को जमीन के बदले मिली थी नौकरी
महराजगंज में जेएचवी मिल के बंद होने के करीब दो वर्ष बाद प्रबंधन ने मिल कर्मियों को जोर का झटका दिया है। हाईकोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद अब प्रबंधन ने मिल के करीब 600 कर्मियों को नौकरी से भी बेदखल कर दिया है। प्रबंधन द्वारा नौकरी से हटाए जाने के बाद कर्मियों की बची-खुची उम्मीद भी समाप्त हो गई है।
वर्ष 2000 में जिस जमीन पर जेएचवी की आधारशिला को उस समय रखा गया था। उक्त जमीन को ओसवाल कंपनी ने सबसे पहले खरीदा था। बाद में पूर्व सांसद और सपा नेता जवाहर लाल जायसवाल ने जमुईकला, गड़ौरा, भगवानपुर व निपनिया के किसानों की 70 एकड़ जमीन को खरीद कर जेएचवी मिल की स्थापना की। लेकिन 2019-20 में कम गन्ने का आवंटन का हवाला देकर प्रबंधन ने पेराई से हाथ खड़ा कर दिया गया। ऐसी स्थिति में मिल कर्मी भुखमरी के कगार पर पहुंच गए।
मिल के नहीं चलने से करीब 600 कर्मचारी प्रभावित हो गए, जिसमें 200 कर्मचारी ऐसे हैं जो मिल लगते समय अपनी सारी जमीन मिल को नौकरी देने के अनुबंध में दे दिया था लेकिन करीब दो वर्ष बाद प्रबंधन ने कर्मियों को नोटिस भेजकर हाजिरी लेने से भी मना कर दिया है। पूर्वांचल चीनी मिल मजदूर यूनियन गोरखपुर के शाखा अध्यक्ष डॉ. नवल किशोर मिश्र ने बताया कि जेएचवी में पेराई बंद होने के बाद अब प्रबंधन ने कर्मियों को नौकरी से बेदखल कर दिया है। ऐसे में मजदूर सड़क पर आ गए हैं।
कर्मियों इन पदों पर मिली थी नौकरी
जेएचवी मिल में जिन किसानों ने अनुबंध के तहत अपनी जमीन दी थी। उसके बदले में जेएचवी प्रबंधन द्वारा किसानों को कांटा बाबू, कमदार, लगड़ीमैन, चौकीदार आदि पद पर तैनात किया था। लेकिन अब मिल में करीब 18 साल नौकरी करने के बाद किसान बेरोजगार हो गए हैं। अपने खुद के पैसे के लिए भी मारे-मारे फिर रहे हैं।
जेएचवी मिल को चालू पेराई सीजन में गन्ना नहीं मिलने से प्रबंधन ने मिल कर्मियों को ले ऑफ कर दिया है। किसानों के माध्यम से जेएचवी प्रबंधन द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी मिली है।